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About The Book
Description
Author
‘एकता-अंता’ की कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं। टी.वी. चैनलों के हास्य और मनोरंजन के कार्यक्रम जो कुछ जनता के समक्ष परोस रहे हैं उसके परिणामस्वरूप समाज का युवा वर्ग दिशाहीन होता जा रहा है। चोरी डकैती और छेड़छाड़ की घटनाएँ निरंतर बढ़ती जा रही हैं। एक-दो नहीं अनेक रेप कांड सभ्य नागरिकों देशभक्तों के लिए घोर चिंता का विषय हैं। आम लोग न समाचार सुनते हैं न सत्साहित्य पढ़ते हैं। प्रायः घरों में सीरियल ही देखते हैं। चरित्र-निर्माण तथा राष्ट्रभक्ति सिखाने की कोई व्यवस्था दिखाई नहीं देती। छोटी-छोटी बातों पर युवक गोली चला देते हैं। चाकूबाजी की घटनाएँ तो सामान्य हैं। राजनीति के खिलाड़ी सामान्य घटनाओं को राजनीतिक रंग देकर सांप्रदायिक झगड़े खड़े कर देते हैं। कोई जातीय रंग देते हैं उच्च वर्ग और दलित वर्ग का संघर्ष खड़ा कर देते हैं कारण वही है कि राष्ट्रीयता की भावना का पोषण करनेवाला साहित्य भी सीमित ही उपलब्ध है। हर समुदाय अपने जातीय हित के लिए आंदोलन के लिए तैयार है। कहीं जाट अपनी जाति को आरक्षण दिलवाने के लिए कटिबद्ध हैं तो कहीं पटेल विद्रोह पर उतर आए हैं। उनके सामने न सरकार और न्यायालय की विवशता है न राष्ट्र की साख का प्रश्न है। युवाओं को देश की एकता-अंता की प्रेरणा देने का यह एक प्रयास है। आशा है युवा वर्ग इन नई-पुरानी कहानियों से कुछ सीखेगा।.