इंटरनेट ने हमारी दुनिया को बहुत छोटा बना दिया है। अब हर सूचना हर जानकारी हमारी उँगलियों पर है। ऐसे में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों ने मीलों दूर बैठे लोगों को आपस में इस प्रकार जोड़ दिया है मानो वे उनके परिवार के ही सदस्य हों। ये सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटें अपने दोस्तों परिचितों व संबंधियों से संपर्क बनाए रखने तथा अपनी रोजमर्रा की खुशियाँ आपस में बाँटने का सबसे बड़ा स्थान हैं जहाँ हर कोई अपने दिल की बात कह सकता है।मार्क जुकरबर्ग एक ऐसा नाम जो विश्व भर के अरबों लोगों के दिलों पर ही नहीं बल्कि दिमाग पर भी इस कदर छाया हुआ है कि लोग उन्हें अपना मित्र अपना भाई अपना पुत्र अपना आदर्श अपना सपना और न जाने क्या-क्या समझने लगे हैं। वही मार्क जिन पर विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय हार्वर्ड से ‘ड्रॉप आउट’ यानी छोड़ देने का ठप्पा लगा और वह भी सिर्फ इसलिए कि वे समाज के लिए कुछ करना चाहते थे और उसी का नतीजा है-फेसबुक।