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About The Book
Description
Author
प्रेम जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी है वो प्रेम जो हम ख़ुद से नहीं कर पाते। माँ सारा जीवन त्याग करने में व्यस्त रहती है परिवार के लिए रोटी से लेकर ख़ुशी तक का त्याग। पिता सारा समय जीवन नियंत्रित करने में लगा देता है कभी ख़ुद को वक़्त नहीं दे पाता। ये लोग ख़ुद को प्रेम नहीं दे पाते और यही कमी परिवार में जा बैठती है जिससे परिवार बिखर जाता है। यह सिर्फ़ एक परिवार की नहीं हम सबके परिवारों की कहानी है।
इस किताब में परिवारों की वो कहानियाँ हैं जो किसी से कही नहीं गईं कभी परिवार की मर्यादा आर्थिक समस्या या रिश्तों के दबाव में घुटकर दिल में दबी रहीं जो अब फूटकर निकल रही हैं। इन्हें समझे बिना हम मुक्त नहीं हो सकते और ख़ुद को प्रेम किए बिना उसे समझ नहीं सकते। यह किताब एक कोशिश है ख़ुद को प्रेम से जोड़ने की। ख़ुद को प्रेम करने की।