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About The Book
Description
Author
about the book डिजिटल दौर में आपकी प्राइवेसी में दखल देकर कोई कैसे आपकी ज़िंदगी को प्रभावित कर सकता है उसी की कहानी है । एक मेट्रो शहर की ऐसी कहानी जहाँ स्टार्टअप पब कल्चर डेटिंग ओपन रिलेशनशिप की दुनिया है लेकिन यहाँ एक ऐसा शातिर इंसान है जिसने सबकी ज़िन्दगी को अपने मन-मुताबिक घुमाया नचाया और इस तरीके से इस्तेमाल किया कि सब एक दूसरे के लिए फरेबी बन गए । आपके करीब भी एक ऐसी चीज़ है जो आप पर हरपल नज़र रखे हुए है और आपकी हर जानकारी को कहीं इस्तेमाल कर रही है । पढ़िए “फ़रेब का सफ़र” और पहचानिए वो कौन है । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे प्राइवेसी में दखल देने की थीम पर लिखा हुआ हिंदी का पहला उपन्यास है फ़रेब का सफ़र । about the author अभिलेख द्विवेदी मिर्ची एफ.एम. में सीनियर कॉपीराइटर हैं। इससे पहले रिटेल सेल्स में थे। लिखने का चस्का 2009 से लगा और 2011 से पत्रिकाओं न्यूजपेपर पोर्टल के अलावा साझा संकलनों में प्रकाशित होने के बाद बतौर लेखक इनकी कोशिशें “खयालों का अभिलेख” “चार अधूरी बातें” “बाकी बातें” “बुद्ध होने का मन है” के बाद अब “फरेब का सफर“ तक आ पहुँचीं हंै। ये इनकी पाँचवी किताब और तीसरा उपन्यास है। कलकत्ता में जन्में और धनबाद दुर्गापुर आसनसोल में पलते-पढ़ते हुए काम की वजह से हैदरबाद जयपुर और भोपाल जैसे कई जगहों से गुजरते हुए फिलहाल लखनऊ में है। जेब जब भी मौका देती है तो ट्रेवलिंग और ट्रेकिंग करते हैं; नहीं तो स्क्रिप्ट राइटिंग। इन सब के अलावा इनकी थोड़ी-बहुत हरकतें और जानकारी सोशल मीडिया पर मिल जाएँगी।.