About the Book इस कहानी के प्रमुख पात्रों में एक झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हैं और दूसरे हैं ग्वालियर के तत्कालीन महाराज जयाजी राव सिंधिया; तीसरे अदृश्य नायक हैं दीवान दिनकर राव राजवाड़े। इन तीनों के इर्द-गिर्द बुनी यह कथा सिर्फ़ कथा है इतिहास नहीं। इसे इतिहास माना भी नहीं जाना चाहिए माना भी नहीं जा सकता क्योंकि इसे इतिहास की तरह लिखा ही नहीं गया है। इतिहास में तथ्य होते हैं दस्तावेज़ होते हैं हवाले होते हैं। इस कथा में इन सबका बहुत थोड़ा अंश है। कल्पना की नाव पर चढ़कर ये तीनों लगातार बढ़ने का प्रयास करते-करते एक कथा का आकार ले लेते हैं। इस कथा को बुनने के लिए मैंने भी अतीत की तमाम खिड़कियों को खोला झाँका पड़ताल की। कहीं अंतर्विरोध दिखाई दिए तो लगा कि अतिरेक भी है। इस उपन्यास को लिखने से पहले मैंने अनेक दस्तावेज़ खँगाले; रानी लक्ष्मीबाई के लिखे ख़तों के अलावा महाराज जयाजी राव सिंधिया दीवान दिनकर राव राजवाड़े राजमाता बैजाबाई के चरित्रों को समझने का प्रयास किया। About the Author चार दशक से भी अधिक समय में देश के प्रख्यात अखबारों ‘जनसत्ता’ ‘दैनिक भास्कर’ ‘नयी दुनिया’ ‘दैनिक आचरण’ ‘निरंजन’ ‘हिंदी मेल’ ‘लोकगाथा’ ‘सांध्य समाचार’ के अलावा टीवी चैनल ’आजतक’ के लिए काम कर चुके राकेश अचल स्वभाव से कवि हैं। घुमक्कड़ प्रवृत्ति के राकेश अचल ने अमेरिका और चीन समेत दुनिया के एक दर्जन से अधिक देशों की यात्रा की हैं। यह दूरदर्शन आकाशवाणी के लिए वर्षों काम करने वाले अनेक टीवी न्यूज चैनलों के स्थायी वार्ताकार भी हैं और पिछले एक दशक से स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।
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