हर मिडल क्लास लोग अक्सर यही मानता है कि पढ़-लिखकर अगर सरकारी नौकरी मिल जाए तो ज़िंदगी अपने आप गुलज़ार हो जाती है। 25 साल का अशोक भी यही मानता है। इस एक सपने के लिए वह सबकुछ छोड़ चुका है; दोस्त मोहल्ला अपना घर यहाँ तक कि किसी लड़की से प्रेम करने की गुंजाइश तक नहीं रखता। अशोक एक ऐसे घर में पैदा हुआ जो हर आम मिडल क्लास परिवार की तरह चलती-फिरती संसद है जहाँ हर फ़ैसला बहस होता है लेकिन अशोक की ज़िंदगी पिता के आदेशों और ‘सरकारी नौकरी’ के एकमात्र लक्ष्य के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती रही।<p>जैसे ही अशोक का नाम मेरिट लिस्ट में आता है उसकी शादी तेज़-तर्रार आत्मनिर्भर सरकारी टीचर जया ललिता से कर दी जाती है। अशोक और जया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होते हुए भी धीरे-धीरे एक-दूसरे से प्रेम करने लगते हैं। सब कुछ ठीक चलता दिखता है तभी क़िस्मत यू-टर्न लेती है ज्वाइनिंग लेटर नहीं आता। जिस नौकरी पर यह रिश्ता टिका था वही डगमगाने लगती है। तब अशोक अपने ही घर और अपनी ही पत्नी के सामने कटघरे में खड़ा हो जाता है।</p><p> ‘गठबंधन’ एक दब्बू बेटे के ‘घर के नेता’ बनने की कहानी है आत्मसम्मान प्रेम और अपनी पहचान खोजने की सच्ची और दिल को छू लेने वाली जद्दोजहद है।</p>
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