*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹680
₹700
2% OFF
Hardback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
हुआ यूँ कि हम गणतंत्र और आजादी के पर्व मनाते रहे पर आकलन के पर्व से दूर रहे। हम जहाँ नहीं पहुँचे वहाँ हम आँकड़ों से पहुँच गए और आँकड़ों की जुगाली में देश पिसता रहा। आजादी के समय उत्पन्न सवाल आज भी जस के तस मसला अनुच्छेद-370 या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का मामला हो या पूर्वोत्तर की समस्या हो या राष्ट्रभाषा राष्ट्रगान या राष्ट्रधर्म की बात हो ये सवाल समाप्त नहीं हुए। गंगा खतरे में यमुना सूख गई सरस्वती लुप्त हो गई वंशवाद के थपेड़ों से कराह रहा लोकतंत्र संवैधानिक संस्थाओं की आस्था पर राजनैतिक चोट गरीबी में अव्वल भ्रष्टाचार में शिखर पर जैसे अहम सवाल आज भी उत्तर की तलाश में भटक रहे हैं। इन समस्याओं का समाधान संभव है उसके लिए अद्भुत जिजीविषा और अदम्य इच्छाशक्ति चाहिए। ‘गौरवशाली भारत’ ग्रंथ ऐसे शब्दसाधकों सरस्वती के उपासकों और भारतमाता को वैभव पर पहुँचाने का स्वप्न देखनेवाले मनीषियों की सृजनशीलता और रचनाधर्मिता के व्यापक अनुभवों का खजाना है जो एक समर्थ सशक्त सबल स्वाभिमानी भारत के पथ को आलोकित करेगा।