‘ग़म की बारिश’‘ग़म की बारिश’ अशआर का एक ऐसा गुलदस्ता है जिसमें दर्द मोहब्बत तन्हाई और जुदाई की भीगी हुई ख़ुशबू समाई हुई है। हर ग़ज़ल एक सिसकती रात एक टूटी हुई तमन्ना और एक बिखरी हुई आरज़ू की तस्वीर पेश करती है। यह दीवान उन दिलों के लिए है जो अशआर में अपने एहसासात ढूँढते हैं और अल्फ़ाज़ की शबनम में अपने ज़ख़्मों का मरहम तलाशते हैं। -आदिल अली सहारनपुरी
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