<b>‘घनघोर इश्क़’</b> पाठक को प्रेम की मूसलाधार बारिश में भीगने का अवसर देता है। <b>परितोष त्रिपाठी</b> के इस कविता-संग्रह में पहले प्यार की मासूम ख़ुशबू से लेकर जुदाई की तीखी पीड़ा तक शब्दों में पिघलकर बरसती है। ये कविताएँ कभी भरोसे की बारिश बनकर टूटे दिलों को सींचती हैं तो कभी सपनों में नए रंग भर जाती हैं। हर पंक्ति दिल के किसी कोने में दस्तक देती है।<p>परितोष के अंदाज़ में इश्क़ एक ऐसा क़र्ज़ है जिसे साँसों की किश्तों में चुकाना पड़ता है और एक ऐसी लाल डोरी है जो दो दिलों की आँखों को हमेशा के लिए बाँध देती है। उनकी सरल मगर भावपूर्ण भाषा में प्रेम जवान रखने वाली जादुई बारिश भी है और अधूरी कहानियों को मुकम्मल करने वाला मरहम भी। 'घनघोर इश्क़' की इन कविताओं में आपको अपनी कहानी की झलक मिलेगी जो आपको मुस्कुराना भी सिखाएगी और आपकी आँखें भी नम करेगी।</p>
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