समकालीन रचनाशीलता दबाव में है। रचनाकार के निजी जीवन अनुभव संसार भाव-संवेदना लय-ध्वनि सभी अतिरिक्त दबाव में हैं। यह उसके अन्तर्य पर बाह्य का है। समय समाज और जीवन की स्थितियाँ जिस तरह विकट हुई हैं उसने रचनाकार को प्रभावित किया है। वह इसे इग्नोर नहीं कर सकता क्योंकि रचनाकार अपने समय का सृजनात्मक प्रवक्ता भी होता है। गर्म तवे पर पड़ी जल बूँदों का जिस तरह वाष्पीकरण होता है कमोबेश यही हालत आज के सजग और संवेदनशील रचनाकार की हो गई है। भास्कर चौधुरी की रचनाशीलता इसी अंतर्य और बाह्य के द्वंद के बीच अपना आकार ग्रहण करती है। इसी से उनकी रचनात्मक स्थितियाँ तैयार होती हैं। इसी के बीच वे अपनी कविता की दुनिया रचते हैं।
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