सहारनपुर के अलीपुरा निवासी तहजीब आलम ग्रेजुएट और पुरजोश शायर हैं। इनकी पहली किताब ग़ज़लकारी इनकी मसहूरकुन कर देने वाली ग़ज़लों का मज़मुआ है। शायरी के फन के लिए गहरे जोश ओ जज्बे के साथ तहजीब ने अपने दिल और रूह को ऐसे आयत में उकेरा है जो खूबसूरती से जज्बात की एक हद को बयान करती हैं। ग़ज़लकारी में पाठकों को तहजीब की गहन संवेदनशीलता की दुनिया और इंसानी जज्बात की उनकी गहरी समझ में तल्लीन करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस शानदार आगाज के साथ तहजीब आलम ने साहित्यिक परिदृश्य में कदम रखा हैं अपनी आत्मा-उत्तेजक रचनाओं के साथ पाठकों पर एक अमिट छाप छोड़ी। इनकी पहली किताब का पिछला पृष्ठ उनकी उभरती हुई प्रतिभा और शायरी के मैदान में रोशन मुस्तकबिल के वादे का सबूत हैं। जैसा कि हम इनके मुस्तकबिल के साहित्यिक कोशिशो का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं हम एक शायर के रूप में तहजीब आलम की मुसलसल ग्रोथ और प्रतिभा को देखने के मुंतज़िर हैं।
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