गोपाल भांड मध्यकालीन बंगाल के नदिया जिले में आज से लगभग साढ़े चार सौ वर्ष पूर्व हुए लेकिन उनकी कहानियाँ, हास्य प्रसंग आज भी लोक में सुने सुनाए जाते हैं। वे महाराज कृष्णचंद्र के विशेष सम्मानित सभासद थे। यद्यपि लोगों में विशेषतौर पर बालजगत में बीरबल या तैनालीराम को जितनी प्रसिद्धि मिली गोपाल भांड को अपने क्षेत्र के बाहर वह प्रसिद्धि नहीं मिली लेकिन उनके प्रसंग किसी भी दृष्टि से किसी से कमतर नहीं अनुभव होते । हास्यरस के महानायक श्री गोपाल भांड जी के ऐसे ही कुछ चुने हुए प्रसंगों को सबके बीच लाने के लिए बच्चों के लिए भी प्रभावशाली लेखन करने वाले वरिष्ठ रचनाकार श्री तपेश भौमिक जी ने यह पुस्तक तैयार की है। यह सुंदर, सचित्र, छोटी-सी पुस्तक न केवल आपको हँसाएगी, गुदगुदाएगी वरन् आपको इससे कठिन समस्याओं के सरल समाधान और विशेष परिस्थितियों में भी कुछ ऐसा सोचने-करने की, जिसे अन्य कोई भी न सोचपाया हो, प्रेरणा भी जगाएगी। बौद्धिक विकास के इस रोचक आयाम को खोलती यह पुस्तक निश्चय ही आप मुस्कुराते हुए पढ़ेंगे यही शुभकामनाएं हैं।
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