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About The Book
Description
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आकाश की ओर यदि दृष्टि डालें तो सहज व स्वाभाविक उत्कंठा मानव मस्तिष्क में उत्पन्न होती है कि ये ग्रह नक्षत्रादि क्या वस्तु है ? ऋतु क्रम क्या है ? सूर्य प्रतिदिन पूर्व में ही क्यों उदय होता है ? पुच्छल तारे क्या हैं ? आदि। मानव ने अपनी इसी जिज्ञासा की पूर्ति हेतु अनेक उपाय आदिकाल से आज तक खोजे हैं। सामुद्रिक शास्त्र व ज्योतिष मानव की प्रथम सफलता थी। इसी शास्त्र से ग्रह गोचर की उत्पत्ति हुई। इस पुस्तक में इसी ग्रह-गोचर के आधार पर ग्रह और फलादेश का वर्णन किया गया है।