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About The Book
Description
Author
गुड्डा भाई एस आर बी एक ऐसे स्मार्ट और रूडी बॉय की कहानी है जो बचपन से ही अपराध और शोषण की आग में जलता है! जब अपराध और शोषण सहने की सीमा टूट जाती है तो गुड्डा के दिल में छुपी हुई चिंगारी एक भयंकर शोले का रूप ले लेती है! गुड्डा अपने पिता की चिता में अपने छोटे भाई आकाश से आग दिलाता है ताकि वह कातिल दरिंदों के याद की आग में तब तक जलता रहे जब तक उन्हें मिटा ना दे! दामोदर दास की फैक्ट्री में अपने मजदूर साथियों का शोषण देख देख कर गुड्डा काफी तंग आ जाता है और एक बार वह फैक्ट्री में भयंकर आग लगाकर दूसरे शहर भाग कर आ जाता है जहां उसकी मुलाकात टॉमस से होती है और टॉमस के साथ काम करके वह गुड्डा से गुड्डा भाई बन जाता है! भयंकर क्रिमिनल बनने के बाद भी गुड्डा के मन का गुड्डा काफी मासूम होता है! अचानक में श्रीवास्तव की बेटी नीलम की मुलाकात गुड्डा से होती है और नीलम गुड्डा से प्यार हो जाता है! नीलम गुड्डा को अपराध की दुनिया से बाहर लाना चाहती है! गुड्डा अपने ही गैंग के लोगों को पुलिस से ट्रैप कराता है और दूसरे गैंग का भी सफाया करने लगता है! सभी गैंग का सफाया करने के बाद गुड्डा अपने को पुलिस के हवाले करता है लेकिन दामोदरदास और श्रीवास्तव की सहायता से गुड्डा जेल से बाहर आता है! गुड्डा जब अपने घर आता है तो सेठ दामोदर दास और श्रीवास्तव को देखकर दंग रह जाता है! आकाश उसे बताता है कि मां ने उसकी और आकाश की सगाई की तैयारियां कर रखी है! मां नीलम और सोहा को अंगूठियां पहनाकर गुड्डा और आकाश की सगाई करती है और शादी पक्की करती है! सभी खुशीखुशी जश्न मनाते हैं और गाना गाते हैं!.