भाव स्थिर नहीं होते। समय और परिस्थिति भाव के जन्मदाता हैं। न समय एक - सा रहता है और ना ही परिस्थितियाँ। ऐसे में जाहिर है कि भाव भी एक से नहीं होंगे। विभिन्न भावों को व्यक्त करने से रचनाओं की शैली और रस में अंतर आना भी लाज़मी है। इस वजह से यह पुस्तक प्रेरणात्मक कविताओं से शुरू होती है। यह श्रृंगार रस की रचनाओं सामाजिक विषयों पर रची गयी काव्य - कृतियों और अन्य ग़ज़लों - नज़्मों का स्वरचित संग्रह है। इस पुस्तक की हर कविता आपसे कुछ बातें कहती है। जो आपसे नहीं कह पाती मुझसे कहती है। इसीलिए इसका नाम ‘गुफ़्तगू - कुछ तुम से कुछ खुद से’ है।
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