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About The Book
Description
Author
दो शब्द लोग भाषा साहित्य अन्तरगत गढ़वाली बोली के सरक्षण वह संबर्धन हेतु गुलबंध कविता संग्रह के माध्यम से लोक भाषा साहित्य को सहेजने में एक पहल मेरे द्वारा की गई है l जहा गढ़वाली बोली अपनी पहचान खोती जा रही है और नई पीढ़ी शर्म और संकोच महसूस करती है l इस हेतु इस कविता संग्रह के माध्यम से लोक भाषा को मजबूत करने के लिये एक पहल की गई है ताकि आने वाली नई पीढ़ी इस लोक भाषा से परिचित हो सके और अपनी बोली जो भाषा के रूप में प्रयुक्त की जाती है इसकी बुनियाद मजबूत रह सके मेरा प्रयास है की विद्यालयी शिक्षा ग्रहण कर रहे नौनिहाल भी विद्यालयों में इस कविता संग्रह का पठन करे इस हेतु यह कविता सग्रह विद्यालयों में भी आवंटित करने का मेरा प्रयास रहेगा lइस आशा और विश्वास के साथ उक्त कविता संग्रह आप सभी को सादर समर्पितहै l