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About The Book
Description
Author
नारी शरीर के प्रति पुरुष का आकर्षित होना एक सनातन एवं शाश्वत प्रक्रिया है और मेरा ये स्पष्ट मत है कि हमारे भारतीय समाज में नैतिकता के आवरण में इस आकर्षण के प्रति दुराग्रह रहा है । इस कहानी संग्रह की हर कहानी का नायक एक साधारण पुरुष है जो करोड़ों पुरुषों का प्रतिनिधित्व करता है । समस्त कहानियाँ प्रथम पुरुष में लिखी गयी है लेकिन इसका ये अर्थ कदापि नहीं है कि ये मेरे व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी हैं । साथ ही मेरा ये भी मानना है कि हम जो भी लिखते हैं उसमें कहीं न कहीं जो हम अपने आस-पास घटित होता हुआ देखते हैं के प्रभाव को नहीं नकार पाते हैं । इन कहानियों में यौवन की दहलीज़ पर कदम रख रही किशोरियों द्वारा अपने प्रेम का इज़हार करती स्वाभाविक कहानियाँ हैं । मैं ये भी स्वीकार करता हूँ कि यदि कोई नारी किसी पर-पुरुष को अपना तन सौंपने को तत्पर होती है तो वहाँ अवश्य उसकी कोई विवशता होती होगी जबकि पुरुष के साथ ऐसा नहीं होता । उसकी नज़रों में नारी देह मात्र एक मनोरंजन है सुख का साधन है । किसी स्त्री को देख एक किशोर मन में आकर्षण का होना नेचुरल ही है जिसे हम क्रश भी कहते हैं । संग्रह में संकलित कुछ कहानियों में इन आकांक्षाओं को परिलक्षित करने का प्रयास किया गया है । ‘गुनाह जो मैंने किये’ की सभी कहानियाँ एक पुरुष की नारी देह की चाह को स्पष्ट स्वीकार करती हैं लेकिन साथ ही इन कहानियों में पुरुष का कायर और पलायनवादी स्वभाव भी उजागर होता है ।