मनुष्य बाहर से जैसा दिखाई देता है वह वैसा होता नहीं। उसके भीतर कई परतें होती हैं—करुणा संघर्ष अपराध-बोध प्रेम स्वार्थ त्याग और मौन की पुकार। जयशंकर प्रसाद की ये कहानियाँ उन भीतर की परतों को उजागर करती हैं। ‘गुण्डा’ सहित इस संग्रह की कथाएँ समाज के हाशिये पर छूटे हुए लोगों के बारे में हैं—वे लोग जिन्हें अक्सर दुनिया कठोर असभ्य या महत्वहीन मान लेती है। परंतु प्रसाद दिखाते हैं कि सबसे कठोर चेहरे के पीछे भी एक कोमल हृदय धड़कता है जो प्रेम और मनुष्यता की भाषा समझता है। यह संग्रह केवल कहानियों का संग्रह नहीं बल्कि मनुष्य के हृदय की यात्रा है— जहाँ दुखिया में पीड़ा के बीच गरिमा चमकती है गूदड़ साईं में त्याग मौन दीपक की तरह उजाला करता है परिवर्तन में अपराध-वृत्ति करुणा की गोद में पिघल जाती है और उस पार का योगी हमें आत्मा के प्रकाश की ओर ले जाता है। प्रत्येक कथा पाठक को रुककर भीतर झांकने पर विवश करती है। शब्द सरल हैं पर अर्थ गहरे और लम्बे समय तक मन में बस जाने वाले। “गुण्डा” बाहरी कठोरता और भीतरी संवेदना के संघर्ष की कहानी है — जहाँ अपराधी नहीं मनुष्य देखा जाता है।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.