Gunda Tatha Anya Kahaniyan

About The Book

वह पचास वर्ष से ऊपर था। तब भी युवकों से अधिक बलिष्ठ और दृढ़ था। चमड़े पर झुर्रियां नहीं पड़ी थीं। वर्षा की झड़ी में पूस की रातों की छाया में कड़कती हुई जेठ की धूप में नंगे शरीर घूमने में वह सुख मानता था। उसकी चढ़ी मूंछें बिच्छू के डंक की तरह देखनेवालों की आंखों में चुभती थीं। उसका सांवला रंग सांप की तरह चिकना और चमकीला था। उसकी नागपुरी धोती का लाल रेशमी किनारा दूर से ही ध्यान आकर्षित करता। कमर में बनारसी सेल्हे का फेंटा जिसमें सीप की मूठ का बिछुआ खुसा रहता था। उसके घुंघराले बालों पर सुनहले पल्ले के साफे का छोर उसकी चौड़ी पीठ पर फैला रहता। ऊंचे कंधे पर टिका हुआ चौड़ी धार का गंड़ासा यह थी उसकी धज! पंजों के बल जब वह चलता तो उसकी नसें चटाचट बोलती थीं। वह गुंडा था।
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