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About The Book
Description
Author
मान सम्मान देने की बात तो बहुत बाद में आती है दीनू भाई तुम्हारी ब्राह्मण और ठाकुरी सोच ने उस एकलव्य को बाल अवस्था में भी अपने साथ कक्षा में बैठने नहीं दिया था।******शोषण-पीड़ा-जादतियाँ और झूठ फरेब की तुम्हारे द्वारा गढ़ी गई आरोपित कहानियों को हम कब तक सहते रहेंगे तुम बिट-बामण-ठाकुरों की मक्कारी के कारण।******जिस भैंस का दूध पीकर ऊँची औकात वाले ठाकुर-बामण की चमड़ी मोटी हो जाती है उसी भैंस के मरने पर वह उसके शव को हाथ लगाना पाप समझता है। किंतु अपनी धौंस और प्रताड़ना के बल पर वह सवर्ण-बामण-ठाकुर एक निर्धन दलित डोम से मृत भैंस को गिद्धों की पैंठ तक फिकवाने का काम करवा लेता है।******