Guru Partap Sadh Ki Sangati
Hindi


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

तमसो मा ज्योतिर्गमय गुरु-परताप साध की संगति! इन थोड़े से शब्दों में सदियों-सदियों की खोज का निचोड़ है; अनंत-अनंत साधकों की साधना की सुवास है; अनेक-अनेक सिद्धों के खिले कमलों की आभा है। इन थोड़े से शब्दों को जिसने समझा उसने पूरब की अंतरात्मा को समझ लिया। पश्चिम ने विज्ञान दिया है मनुष्य को पूरब ने धर्म दिया है। और धर्म का सार-अर्थ इन थोड़े से शब्दों में है--गुरु-परताप साध की संगति! ‘गुरु’ शब्द बड़ा महत्वपूर्ण है। इसका अर्थ शिक्षक नहीं होता न अध्यापक न व्याख्याता। दुनिया की किसी भी भाषा में इस शब्द को रूपांतरित करने का उपाय नहीं है। दुनिया की किसी भाषा में इसके समतुल कोई शब्द ही नहीं है; क्योंकि इसके समतुल कोई अनुभूति ही जगत के किसी और हिस्से में खोजी नहीं जा सकी है। ‘गुरु’ बनता है दो शब्दों से--गु और रु। गु का अर्थ होता है: अंधकार; रु का अर्थ होता है: अंधकार को दूर करने वाला। गुरु का अर्थ है: जिसके अंतस का दीया जल गया है; जिसके भीतर रोशनी हो गई है; जो सूरज हो गया है; जिसके अंग-अंग से द्वारों से झरोखों से संधों से रोशनी झर रही है। और जो भी उसके पास बैठेंगे नहा जाएंगे उस रोशनी में; उस प्रभामंडल से वे भी आंदोलित होंगे। जो स्वर गुरु के भीतर बजा है उसकी चोट तुम्हारे हृदय की वीणा पर भी पड़ने लगेगी। ओशो जागो! और जागने का एक ही उपाय है--गुरु-परताप साध की संगति! भीखा के ये वचन सीधे-सादे सुगम पर चिनगारियों की भांति हैं। और एक चिनगारी सारे जंगल में आग लगा दे--एक चिनगारी का इतना बल है। हृदय को खोलो इस चिनगारी को अपने भीतर ले लो। शिष्य वही है जो चिनगारी को फूल की तरह अपने भीतर ले ले। चिनगारी जलाएगी वह सब जो गलत है वह सब जो व्यर्थ है वह सब जो कूड़ा-करकट है। चिनगारी जलाएगी भभकाएगी वह सब जो नहीं होना चाहिए और उस सबको निखारेगी जो होना चाहिए। चिनगारी असत्य को जलाती है सत्य को निखारती है। और जो इस अग्नि से गुजरता है एक दिन कुंदन होकर प्रकट होता है शुद्ध स्वर्ण होकर प्रकट होता है। ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: • श्रद्धा और संदेह • प्रार्थना का क्या अर्थ होता है? • अहंकार से कैसे छुटकारा होगा? • उत्तरदायित्व का बोध • सदगुरु का संदेश क्या है?
downArrow

Details