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About The Book
Description
Author
गीता का कथन है कि ज्ञान के समान पवित्र इस संसार में और कुछ नहीं। ज्ञान एक प्रकार का प्रकाश है जिसकी छत्रच्छाया में हम समीपवर्ती वस्तुओं के संबंध में यथार्थता से अवगत होते और उनका सही उपयोग कर सकने की स्थिति में होते हैं। महामानवों द्वारा इतनी मात्रा में सद्ज्ञान छोड़ा गया कि उसे मात्र बटोरने की आवश्यकता है। ज्ञान का प्रचार-प्रसार कथा रूप में सरलता से होता है अस्तु हमारे प्राचीन काल से ही कथाओं का विशेष स्थान रहा है। मानवता नैतिकता सदाचार त्याग प्रेम समर्पण राष्ट्रनिष्ठा आदि तत्त्वों को केंद्र में रखकर समाज-जीवन के सभी विषयों को समेटे लघुकथाओं ने हमारे विशद ज्ञानभंडार को समृद्ध किया है। ‘ज्ञानवर्धक लघुकथाएँ’ कृति अपने अंदर 174 ऐसी ही कथाओं को समेटे हुए है जिसकी हर कथा कोई-न-कोई अपने अनुकूल सद्ज्ञान छोड़ती गई है जिसे अपनाकर व्यक्ति सुविधापूर्वक सुरक्षापूर्वक इच्छित लक्ष्य तक पहुँच सकता है।.