ज्ञानयोग स्वामी विवेकानंद की एक महत्वपूर्ण कृति है जो ज्ञान के मार्ग पर केंद्रित है। इस पुस्तक में स्वामीजी ने वेदांत दर्शन के गहन सिद्धांतों को सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया है। वे बताते हैं कि सच्चा ज्ञान आत्मा की प्रकृति और ब्रह्मांड के साथ उसके संबंध को समझने में निहित है।<br>स्वामीजी तर्क और बुद्धि के माध्यम से आध्यात्मिक सत्य की खोज पर जोर देते हैं। वे अंधविश्वासों और कर्मकांडों से दूर रहने तथा आत्म-विश्लेषण और मनन के द्वारा सत्य को जानने का आह्वान करते हैं। पुस्तक में वे विभिन्न दार्शनिक अवधारणाओं जैसे माया ब्रह्म और आत्मा की व्याख्या करते हैं जिससे पाठकों को वास्तविकता की गहरी समझ मिलती है।<br>ज्ञानयोग उन लोगों के लिए एक मार्गदर्शिका है जो जीवन के अंतिम सत्य को जानने की इच्छा रखते हैं और पारंपरिक धार्मिक विश्वासों से परे जाकर स्वयं अनुभव करना चाहते हैं। यह पुस्तक पाठकों को आत्म-ज्ञान की ओर प्रेरित करती है और उन्हें अपनी आंतरिक शक्ति और क्षमता को पहचानने में मदद करती है। यह पुस्तक ज्ञान के महत्व आध्यात्मिक जिज्ञासा और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर एक शक्तिशाली अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
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