समसामयिक घटनाओं पर आधारित ‘हदीस-ए-दिल’ प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार प्रोफेसर हदीस अंसारी की लघु कथाओं का संग्रह है। यह लघु कथाएं जीवन के प्रति जागरुकता और समझ हासिल करने के लिए बुनियादी हैसियत रखती हैं। यह आज के समाज व राजनीतिक परिवेश में मानवता का पाठ देने वाली हैं। समस्याओं का जो चक्रव्यूह आज से सौ साल पहले था। आज भी वैसे ही है। एक तबके की भूख और गरीबी आज भी हमारे दिलों को झकझोर रही है। गरीब अति गरीब और धनवान अति धनवान होता जा रहा है। जिस विकास की दुहाई दी जा रही है इसके बोझ तले किसानों मजदूरों और बेरोज़गारों की लंबी भीड़ दबी हुई है। इन संवेदनशील विषयों को लघु कथाओं के माध्यम से सामाजिक आर्थिक राजनीतिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को रेखांकित किया गया है। आज देश और दुनिया के राष्ट्र विकास और प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं लेकिन आपसी कलह द्वेष और स्वार्थ से विनाशकारी युद्ध के बादल में मानवता सिसक रही है। अगर इस ज्वालामुखी को यहीं खत्म नहीं किया गया तो पता नहीं इसका संताप कितनी पीढ़ियां झेलेंगी। मानवीय संबंधों की ऊष्मा को चाटती इस वैश्विक दीमक की लकीर प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह लघु कथाएं 21वीं सदी की इस त्रासदी को अंदर-बाहर से अभिव्यक्त करती हैं। संवेदना के धरातल पर सिर्फ कथाकार को ही नहीं बल्कि पाठक को भी बेचैन करती हैं।प्रो. हदीस अंसारी ने अपनी विशिष्ट शास्त्रीय लेखन शैली के कारण साहित्यिक क्षेत्र में एक अद्वितीय पहचान बनाई है। शिक्षण और प्रशिक्षण के अलावा इन्हें साहित्य से विशेष लगाव है। शोध और आलोचना के साथ-साथ वे साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे कहानी लघु कथा नाटक और ग़ज़ल के रचनात्मक क्षेत्र में भी अपने क़लम का जौहर दिखाते रहते हैं। इनकी किताबें रचनात्मक और आलोचनात्मक साहित्य में दस्तावेज़ का दर्जा रखती हैं। इसके अलावा इन्होंने अनुवाद के क्षेत्र में भी अपने कौशल की मिसाल क़ायम की है।
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