वीर राजपूतों के रक्त से सिंचित वीरों को जन्म देने वाली उर्वरा भूमि राजस्थान में आज के सवाई माधोपुरा रेलवे स्टेशन से ६ मील दूर दक्षिण-पश्चिम में पहाड़ी पर स्थित है दुर्गम और सुदृण दुर्ग-रणथम्भौर। आज से लगभग हजार वर्ष पहले न ये सवाई माधोपुरा नगर था न रेलवे स्टेशन किन्तु ये पहाड़ियाँ तब भी विद्यमान थी जिन के ऊपर निर्मित किया गया रणथम्भौर का सुदृण और अभेद दुर्ग। --- पेशे से इंजीनियर कानपुर उप्र. के उन्नाव से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ हिन्दी लेखक सुधीर मौर्य ने शैक्षिक तौर पर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा इतिहास और दर्शन में स्नातक प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा हासिल किया है। उनकी लिखी किताबों में 1) एक गली कानपुर की (उपन्यास) 2) अमलतास के फूल (उपन्यास) 3) संकटा प्रसाद के किस्से (व्यंग्य उपन्यास) 4) देवलदेवी (ऐतहासिक उपन्यास) 5) मन्नत का तारा (उपन्यास) 6) माई लास्ट अफ़ेयर (उपन्यास) 7) वर्जित (उपन्यास) 8) अरीबा (उपन्यास) 9) स्वीट सिकस्टीन (उपन्यास) 10) पहला शूद्र (पौराणिक उपन्यास) 11) बलि का राज आये (पौराणिक उपन्यास) 12) रावण वध के बाद (पौराणिक उपन्यास) 13) मणिकपाला महासम्मत (आदिकालीन उपन्यास) 14) अधूरे पंख (कहानी संग्रह) 15) कर्ज और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) 16) ऐंजल जिया (कहानी संग्रह) 17) एक बेबाक लडकी (कहानी संग्रह) 18) हो न हो (काव्य संग्रह) 19) पाकिस्तान ट्रबुल्ड माईनरटीज (लेखिका - वींगस सम्पादन - सुधीर मौर्य) प्रमुख हैं।
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