Hamsafar / हमसफ़र: Hamsafar

About The Book

हमसफ़र 'हमसफ़र लिखने के पीछे मेरा मुख्य उद्देश्य यह रहा है कि जिन महानुभावों ने भाषा संस्कृति और विरासत को सहेज कर रखने में अपने-अपने ढंग से उल्लेखनीय भूमिकाएं निभाई हैं उनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी पाठकों तक पहुंचाई जा सके ।सोचा जाएतो हम सब का सफ़र सांझा है । इस सफ़र में हम सब की मंज़िल भी एक ही है और वह मंज़िल है अपनी सांस्कृतिक विरासत को संभाल कर रखने की ताकि भावी पीढ़ी उस पर गर्व कर सके। इस सफ़र के दौरान हर कोई अपनी तरफ़ से इस महायज्ञ में अपने कार्यों के द्वारा आहुति तो देता ही है। कुछ विलक्षण प्रतिभा के मालिक इसमें इतना अधिक योगदान करते हैं कि वो सभी के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं । उन्हीं प्रेरित व्यक्तित्वों से प्रेरणा लेते हुए और भी लोग इस नेक कार्य में आ जुटते हैं जिस से अपनी भाषा संस्कृति और विरासत को संजोए कर रखने में बहुत अधिक सहायता मिलती है।वैसे तो डुग्गर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और उसके प्रचार-प्रसार में बहुत सारे प्रेरक व्यक्तियों का योगदान रहा है तथा अभी भी पूरी तत्परता तथा ईमानदारी से लगातार इसमें प्रयासरत हैं लेकिन इस किताब में कुछ व्यक्तियों को ही स्थान दे पाया हूं। हालांकि यहां में यह अवश्य कहना चाहूंगा कि भविष्य में भी इसी तरह के प्रयास मैं अपनी तरफ से भी जारी रखने की कोशिश करूंगा जिससे और भी प्रेरक व्यक्तित्वों के बारे में किताब में संकलित करके जानकारी आगे बढ़ा पाऊं।आशा हैमेरा यह छोटा सा प्रयास आप सभी को पसंद आएगा ।
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