*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹155
₹225
31% OFF
Paperback
Out Of Stock
All inclusive*
About The Book
Description
Author
स्थितियां भयावह हैं लेकिन अभी नियंत्रण से बाहर नहीं हुई हैं। यदि उचित मार्ग-दर्शन मिले तो नौनिहाल देश का भविष्य बदलने की काबिलियत और हौसला रखते हैं। किंतु दुर्भाग्य से संयुक्त परिवार की टूटती परम्परा के कारण अब दादा-दादी नाना-नानी का सान्निध्य दुर्लभ होता जा रहा है। इनके माध्यम से पहले बच्चों को खुशनुमा माहौल में सांस्कृतिक विरासत सौगात के रूप में सहज ही उपलब्ध हो जाती थी। परन्तु महानगरों की भीड़ में दादा-दादी नाना-नानी की तो छोड़िये बच्चों को माता-पिता का भी पर्याप्त सान्निध्य उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। 3- ऐसे में एक साहित्यकार की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। उसका दायित्व हो जाता है कि वह ऐसा साहित्य उपलब्ध कराये जो बच्चों को हँसने-खिलखिलाने का अवसर उपलब्ध करवा सके। यदि बच्चे खुश रहेंगे तो उनकी सृजनात्मक क्षमता में वृद्वि अवश्य होगी। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मैंने 12 कहानियों का गुलदस्ता ‘हँसती-खिलखिलाती कहानियाँ’ तैयार किया है। इसमें संकलित हास्य से सराबोर कहानियाँ जहां बच्चों को हंसायेंगी गुदगुदायेंगी वहीं उन्हें चुनौतियों का सामना करने के लिए सजग भी करेंगी। संग्रह की सभी कहानियाँ अलग-अलग विषयों और अलग परिवेश की हैं। आशा है यह प्रयास बच्चों को पसंद आयेगा और संग्रह की कहानियाँ उन्हें हँसने-खिलखिलाने के कुछ पल अवश्य उपलब्ध करवायेंगी। -संजीव जायसवाल ‘संजय’