समकालीन उर्दू शायरी में आठवीं दहाई के दौरान जिन शायरों ने अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज करायी उनमें महताब हैदर नकवी का महत्वपूर्ण स्थान है।एक सजग और संवेदनशील शायर के रूप में प्रतिष्ठित महताब हैदर नकवी के शेरों में मौजूदा दौर की आहट स्पष्ट सुनायी देती है। इनकी सहज अभिव्यक्ति किसी भी सहृदय पाठक को अपनी ओर आकृष्ट करने की क्षमता रखती है।वही सब देखने के वास्ते आँखें हैं बाकी कि जिनके बाद बीनाई का बिलकुल खातमा है।‘हर तस्वीर अधूरी’ महताब हैदर नकवी का देवनागरी में प्रकाशित होने वाला पहला संकलन है जिसकी गजलें आज के बदले हुए जीवन मूल्यों को बड़ी मार्मिकता के साथ रेखांकित करती हैं।सुरेश कुमार
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