इस किताब में क़ैद कविताएँ महज़ कविताएँ नहीं कवयित्री की भावनाएँ हैं। प्यार हसरतें इच्छाएँ आशाएँ कुंठाएँ और भी ढेर सारी भावनाएँ जो हर शख़्स के भीतर पनपती हैं पलती हैं बढ़ती हैं जो अक्सर लोग शब्दों में बयां नहीं कर पाते जो महज़ शब्दों में बयां की भी नहीं जा सकती बल्कि खामोशियों में सुनी और समझी जा सकती हैं। इस किताब में जहाँ प्रेम की कविताएँ हैं वहीं जीवन के अनछुए पहलुओं को छूती कविताएँ भी हैं। कुछ कविताएँ एक औरत के अंतर्मन का शब्दों से किया गया चित्रण हैं। एक औरत जो अपने जीवन में अलग-अलग भूमिकाएँ निभाती है- बेटी बहन बीवी माँ। पर इस सब के परे वह स्वयं भी तो एक इंसान है उसका स्वयं का भी एक अस्तित्व है जो जेंडर के परे है। उसे एक बीवी बहन बेटी माँ या एक जेंडर के परे महज़ एक इंसान के रूप में चित्रित करने की कोशिश भर हैं ये कविताएँ । अंत में ये कविताएँ महज़ कविताएँ नहीं कवयित्री के मन के भाव हैं जिन्हें वह कागज़ पर उकेरने का दुस्साहस करती है या यूँ कहिए कि ऐसा करने को मजबूर है ।तो इन कविताओं में क़ैद महज़ हर्फों को मत पढियेगा उनमें बंद चुप्पियों को भी सुनने की कोशिश कीजियेगा। ज़िन्दगी शायद हसीन और सरल लगने लगे।
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