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About The Book
Description
Author
यह संघर्ष की दास्तां बयां करने वाला उपन्यास है। हरकारा से भले किसे पाला न पड़ा होगा। परंतु आज के युग में बहुत से लोग तो हरकारा क्या होता है यह भी पूछ सकते हैं। संदेश या डाक पत्र पहुंचाने वाला हरकारा होता है और यह उपन्यास एक ऐसे हरकारे की जीवंत कहानी है जो अपने प्राणों की बाजी लगाकर अपन कर्तव्य मार्ग पर डटा रहता है। एक प्रेमभरा संदेश भी इस कथा में है। About the Author ताराशंकर वंद्योपाध्याय प्रसिद्ध बांग्ला साहित्यकार हैं। इन्हें गणदेवता के लिए 1966 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ताराशंकर वंद्योपाध्याय को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1969 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। ये पश्चिम बंगाल से हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आरोग्य निकेतन के लिये उन्हें सन् 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।