उनकी पहली किताब 'हिदायतें' के नाम से शाए हुई थी। इस नाम से ही ज़ाहिर होता है कि राकेश सूद आने वाली नस्लों और भारतवासियों के लिए कोई पैग़ाम दे रहे हैं। मैं उन्हें उनकी इस दूसरी किताब हसरतें के लिए मुबारकबाद देता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि राकेश सूद अपना पैग़ाम देने में कामयाब रहेंगे।<br>एक अंदाज़ ये देखिए<br>अपनों से कभी मैं ख़फ़ा नहीं होता<br>लाख करें दुखी मैं बेवफ़ा नहीं होता<br>बाद रुख़सती के तेरी महफ़िलें कुछ यूँ वक़्त बिताएंगी<br>तेरे गुज़रे क़िस्से सुनाएंगी तेरे गाए गीत गुनगुनाएंगी<br>सालिम सलीम
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