परमात्मा की विशेष कृपा और सानिध्य में संचित इस शब्दावली को अपने गुरुजनों माता-पिता और कबीर साहेब का आशीर्वाद मान एक पुस्तक के रूप में अपने प्रिय पाठकों के समक्ष रख रही हूँ। मेरी रचनाओं को आपने सदैव सराहा है। आपके असीम स्नेह और ईश्वर कृपा ने मेरी लेखनी को साहित्य की सेवा में उपस्थित किया है..मैं इस सेवा मार्ग पर यूँ ही अग्रसर होती रहूँगी।काव्य मन से उपजी एक ऐसी शब्दलहरी है जो मानस पटल पर अंकित हो एक आभासी दुनिया में ले जाती है... और कविता ही एक अभिव्यक्ति है सामाजिक परिस्थितियों का चिन्तन करने की सामाजिक सुख दुःख संवेदनाओं को पंक्तियों में पिरो कर कागज पर उतारने की। मेरा ये द्वितीय काव्य-संग्रह मेरे प्रिय पाठकों के समक्ष है उनकी हृदयस्थली पर मेरी कविता का हस्ताक्षर।-- 'अनुदीप' भारद्वाज
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