*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹322
₹360
10% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
पुस्तक हास्य व्यंग्य : मूढ़मति के संग में हास्य और व्यंग्य के चुनिंदा 45 लेखों का संग्रह है जो प्रत्येक उम्र और हर बौद्धिक स्तर के पाठक को गुदगुदा देगा। कहा गया है कि विशुद्ध हास्य पोपला होता है जबकि व्यंग्य के तीखे दाँत होते हैं। मैंने प्रयास किया है कि प्रत्येक मजेदार लेख के पोपले मुख में एक-दो दाँत भी हों जो जब मौक़ा लगे तब वे भी बिना चूक अपना कार्य बखूबी करते जाएं। मैंने प्रत्येक लेख में उच्च स्तरीय साहित्यिक और क्लिष्ट हिंदी से बचते हुवे सामान्य जन की उस मजेदार सरल व सरस हिंदी भाषा को अंगीकृत करने का प्रयास किया है जिससे कलेवर बोझिल न हो जाए और सभी आयु वर्ग के पाठक हास्य व्यंग्य के भरपूर मज़े ले सकें। आपको इस पुस्तक के मुख्य पात्र मूढ़मति हास्य और मनोरंजन की खातिर उल्टे उस्तरे से सिर मुड़वाने के लिए सदैव तत्पर दिखेंगे हालाँकि वे उतने भी मूढ़मति हैं नहीं! दरअसल मूढ़मति चुपके से लेखक अंदर समाए हैं और उनके माध्यम से अलग-अलग किस्से-कहानियों और लेखों में तमाम ताना बाना बुनते रहते हैं। बुद्धिमान और मूर्ख दोनों किसी की नहीं सुनते और यही तथ्य हास्य को बारम्बार जन्म देता है। मूढ़मति के आस पास लेख-दर-लेख जुड़े अनेक पात्र यथा फक्कड़ जी ज्ञानी गुप्ता दद्दू जिंदादिल फी फी जगत चाचा मूढ़मति की पत्नी जी वीरेंद्र जी परमानंद जी आदि हास्य का तड़का लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।