Hasya Aur Vyangya Madhup Ji (Pratham) Ke Sang (हास्य और व्यंग्य मधुप जी (प्रथम) के संग)

About The Book

मधुप पांडेय एक ऐसे कवि हैं जिन्हें समय काल और परिस्थितियों का भी ज्ञान है और मानवीय मनोविज्ञान का भी। उनकी कविताएँ पढ़ते समय पाठकों को यह महसूस होता है कि वह अपने समय के साथ एक प्रत्यक्ष संवाद कर रहे हैं। वह संवाद मन को विषाद और निराशा की दिशा में नहीं ले जाता बल्कि एक मुस्कुराहट के साथ पाठक के मन मस्तिष्क में नवीन ऊर्जा का संचार कर देता है। मधुप जी की कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उनमें कहीं भी व्यक्ति विशेष का विरोध दिखाई नहीं देता बल्कि वह एक जागरूक रचनाकार का दायित्व निभाते हुए प्रवृतिगत विसंगतियों पर प्रहार करते हैं। उनकी कविताओ में अनेक स्थानों पर हास्यरस का परिपाक तो होता है लेकिन वह किसी को भी उपहास का विषय नहीं बनाते। उनके व्यंग्य का उद्देश्य समस्या पैदा करना नहीं है अपितु समस्या को समाधान के विराम बिन्दु तक पहुँचाना है। इस संकलन में प्रकाशित उनकी कविताएँ हमारे साहित्य की धरोहर तो हैं ही साथ ही साथ अपने समय का दस्तावेज भी हैं।-डॉ. प्रवीण शुक्ल.
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