पुस्तक के रचनाकर्मी प्रोफेसर जयकांत तिवारी समाजशास्त्र विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी ने चार दशक से अधिक की लंबी अवधि में समाजशास्त्र की तीन पुस्तकें बासठ आलेख/शोध प्रश्नपत्र एवं दर्जनों लेख लिखा है। लगभग चाजीस विद्यार्थियों ने आपके निर्देशन में पी-एच0डी0 एवं पोस्ट डॉक्टरेट की उपाधि ग्रहण किया है। अवकाश ग्रहण की औपचारिकता पूरी करने के उपरांत विगत दो वर्षों से पुनर्नियुक्त प्रोफेसर के रूप में अध्यापनरत हैं। प्रोफेसर तिवारी एक लोकप्रिय अध्यापक के साथ-साथ साहित्यिक रसिक भी हैं। विभिन्न अवसरों पर उनकी कविताएं युवा विद्यार्थियों को स्पंदित करती रही हैं। यह पुस्तक प्रोफेसर तिवारी की साहित्यिक अभिरुचियों को प्रदर्शित करती है जिसमें हास्य व्यंग्य की कविताओं एवं कहानियों के माध्यम से उन्होंने सामाजिक सरोकार पर बहुत रोचक अंदाज में प्रकाश डाला है। विविध सामाजिक घटनाओं पर उनकी पैनी दृष्टि पाठकों का भरपूर मनोरंजन करती है। भ्रष्टाचार मूर्खता धर्म राजनीति किसान की दुर्दशा विकसित एवं विकासशील समाज प्यार जैसे बहुआयामी संदर्भों को समेटते हुए रचनाकार ने इंद्रधनुषी छटा बिखेर कर पाठकगणों को त किया है।.
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