यह अमेरिका में प्रवासियों की जिन्दगी का यथार्थ चित्रण करने वाला उपन्यास है जिसमें दर्शाया गया है कि प्रवासी विदेशी सभ्यता की भौतिक चमक-दमक से अपने जीवन को कैसे होम कर रहे हैं। इस उपन्यास की राधिका नस्लवाद के कारण हीन-भावना की शिकार है आधुनिकता जब उसे ठोकर मारती है तो अपनी गलती का एहसास होता है| About the Author सुषम बेदी का जन्म 1 जुलाई 1945 में फीरोजपुर (पंजाब) में हुआ था। उच्च शिक्षा दिल्ली और पंजाब में हासिल की। सुषम जी की पहली कहानी 1978 में प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका 'कहानी' में प्रकाशित हुई। 1984 से वह नियमित रूप से छपती रही हैं। उनकी रचनाओं में भारतीय और पश्चिमी संस्कृति के बीच झूलते प्रवासी भारतीयों के मानसिक आन्दोलन का सुन्दर चित्रण होता है|
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