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Description
Author
जख्म किसे नही होते यहाँ हर कोई जख्मों से घायल है अपने अंदर के शोर से परेशान है| जख्मोसे घायल रहोगें तो संभलो गे कैसे? अपने अंदर का शोर ना सुनोगे तो शांतिसे सोओगे कैसे? भूला दीजिये अब वो बातें जिनसे अब कोई वफ़ा नहीं कोई वास्ता नहीं| लंबी उम्र है लंबी उम्र की खूबसूरत दास्तां लिखनी है| पुराने किस्सों से उम्मीद को क्यों मारना? तुम इस तरह ना मुरझा जाना जब किस्मत ने लिखा है कब तुम्हें फूल की तरह है खिलना| बेहतर होगा जो बीत गया उसे भूल जाना कल की नहीं आज की सोचना आनेवाले कल को बाहे खोल के तुम आजमाना...!