He Bhanmati


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About The Book

एक प्रखर सामाजिक चेतना के कारण मणि मधुकर की इन कहानियों की एक विशिष्ट पहचान है। ये बहुत बारीकी से अपने समय के अनचीन्हे सच को पकड़ती हैं। जीवन को रेशा-रेशा खोलकर देखने की इनकी क्षमता कभी कथ्य वातावरण और चारित्रिक बनावट में यथार्थ का अहसास देती हैं तो कभी फन्तासी में रूपान्तरित होकर झिलमिलाने लगती हैं। भाषा पर लेखक का असाधारण अधिकार है इसलिए अभिव्यक्ति के धरातल पर पाठक को बराबर एक ताज़गी और तन्मयता महसूस होती है। हे भानमती में गाँव के आदमी की पीड़ा और संघर्षशीलता के कई आयामों से साक्षात्कार होता है। आवेगों का एक भरपूर संसार जैसे इसमें साँस लेता और पगडंडियाँ बनाता अनुभव किया जा सकता है। साथ ही ये कहानियाँ प्रचलित अर्थ में कहानी होने की सीमाओं का भी अतिक्रमण करती हैं और इस तरह शिल्पगत नवीनता का गहन बोध देती हैं। प्रयोगधर्मिता का गुण इनकी मूल प्रकृति का अभिन्न और घनिष्ठ अंग है वह बाहरी या आरोपित नहीं है।
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