HEADMASTER TATHA ANYA KAHANIYAN

About The Book

मैंने महसूस किया है कि दुनिया में अनाचार अविचार और अत्याचार का अभाव नहीं है। प्रेम की शक्ति जितनी बड़ी है प्रयोजन के अनुसार घृणा और विद्वेष की शक्ति भी कम नहीं है। बृहत्तर प्रेम और गंभीरतर कल्याण को रेखांकित करने के लिए इस शक्ति के सहयोग का भी प्रयोजन होता है। जीवन में केवल आलिंगन की ही जरूरत नहीं जो आघात देता है उस पर आघात करना भी जरूरी है। जब तक इंसान में दोनों गुण नहीं होते तब तक जीवन में समॄद्धि नहीं आती और न लेखक की रचना में दीप्ति! इस बात को मैंने अनुभव से जाना है विवेक से विचारा है। उसे केवल कल्पना के रस से सिंचित कर अभिव्यक्त करना नहीं जाना। अपने स्वभाव को समझ अपने रुझान और क्षमता को स्वीकार कर मैंने जीवन-भर केवल प्रेम की कहानियाँ लिखी हैं कोई चाहे तो इसे संकीर्ण अर्थ में प्यार-मुहब्बत कहता है। वैसे है यह प्यार-मुहब्बत ही और कुछ भी नहीं। - नरेंद्रनाथ मित्र
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