Heer

About The Book

प्रज्ञा तिवारी ने डूब कर प्रेम कहानी लिखी है। हीर जीत और पंचम के बीच चलती हुई कहानी जीवन और संबंधों के सारे छोर खोजती है। युवा प्रेमियों का अलबेला मन मिजाज मनभावन है। युवा प्रेमी भी अपनी खुशियाँ एक दूसरे में ढूँढते हैं। अपनी मस्ती और आवारगी के लिए साथी पर निर्भर होते हुए भी अपने लिए स्पेस की माँग रख देते हैं। उपन्यास का अंत भी गैर पारंपरिक है। अगले भाग का लालच देकर कुछ छुपा लिया है। यह फिल्मी तरीका है... दूसरी फिल्म का संकेत देकर 'द इंड होता है। अंग्रेजी शब्दों की गानों और मैसेज की भरमार है। अब युवा पीढ़ी अपनी ही भाषा में बात करेंगी न! बहुत रोचक कथा है बहुत प्रवाह भी है। एक जिज्ञासा के साथ पढ़ते चले जाते हैं। बकौल अनामिका 'जीवंत किरदारों और हंसमुख संवादों के बीच पनपती इस खिचड़ी भाषा में कहीं कंकड़ नहीं है। सहज प्रवाही संवादों में कोई कोई अंग्रेजी शब्द दांत में फंसकर खिचडी का मजा किरकिरा नहीं करता। प्रज्ञा का पहला उपन्यास है। पहले मैंने इनकी कहानियाँ पढी हैं। मुझे कहानी संग्रह का इंतजार रहा और इधर इस लड़की ने उपन्यास लिख दिया। बहुआयामी प्रतिभा संपन्न प्रज्ञा बहुत कुछ करती है... जो भी करती है रचनात्मक करती है। उसे पहले उपन्यास की बधाई और ढेर सारी शुभकामना
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