श्री लव कुमार ''प्रणय'' के नवीनतम ग़ज़ल संग्रह हिचकियाँ मेरी की ग़ज़लों में विषयों की विविधता और शिल्प की कसावट देखते ही बनती है। इस संग्रह की सभी 108 ग़ज़लें अलग-अलग बहरों पर लिखी गई हैं। पाठकों की सुविधा के लिए हर ग़ज़ल के साथ उसकी बहर (मापनी) को भी दर्शाया गया है। पुस्तक की रचनाओं में जहाँ एक ओर मानवीय संवेदनाएं झंकृत होती हैं वहीं सामाजिक विसंगतियों पर भी तीखा व्यंग और प्रहार परिलक्षित होता है।
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