Hindi Katha Sahitya - Sanskriti Aur Sanskar

About The Book

‘हिंदी कथा साहित्य-संस्कृति और संस्कार’ ...मैंने यह पुस्तक मोहन राकेश के कथा साहित्य पर शोध करते समय ही लिखने की आवश्यकता महसूस की। कथा साहित्य सिर्फ कथा ही नहीं है उसमें अपने समय का वर्तमान इतिहास और भूगोल भी मौजूद होता है। इतिहास में तिथि और तथ्य की सत्यता रहती है और भूगोल अपने समय की मौलिकता को भावात्मक रूप में व्यक्त करता है। कथा साहित्य मानवीय सभ्यता का ऐतिहासिक और भावात्मक परिचय अपने समय का देता है। हिंदी का कथा साहित्य भी अपने समय से हमारा साक्षात्कार करता है। हिंदी के कथा साहित्य का इतिहास बहुत पुराना नहीं है लेकिन भारतीय कथा संस्कृति और भारतीय सभ्यता का साक्षी रहा है।मैंने ‘हिंदी कथा साहित्य-संस्कृति और संस्कार’ में उसे अपनी तरह से पहचानने का प्रयास किया है। मेरा यह प्रयास हिंदी के पाठकों के लिए हिंदी कथा साहित्य को समझने में सहायक होगा यह मेरी कामना है। इस पुस्तक में मैंने उन कहानियों कहानीकारों से सहायता ली है जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी कहानियों ने उन्हें अमरता दी है- माघवराव सप्रे आचार्य रामचंद्र शुक्ल दुलाईवाई (बंग महिला) प्रेमचंद चंद्रधर शर्मा गुलेरी जयशंकर प्रसाद जैनेन्द्र अज्ञेय एवं फणीश्वरनाथ रेणु। साहित्य और साहित्यकार आलोचना और आलोचक से बड़ा होता है। उनके व्यक्तित्व के सामने मैं कितना छोटा हूँ यह कह नहीं सकता। उनकी महानता का महत्त्व है कि मैंने उनकी कहानियों को आधार बनाकर ‘हिंदी कथा साहित्य-संस्कृति और संस्कार’ के माध्यम से हिंदी के कथा साहित्य को समझने का प्रयास किया है। यह मेरा छोटा सा प्रयास हिंदी के पाठकों के लिए भी सहायक की भूमिका निभा सकेगा ऐसी मेरी कामना है।
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