HINDI KAVYA AUR GEETON MEIN RASHTRA-PREM


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

आज के परिवर्तित समय में उपभोक्तावादी और भौतिकतावादी दौड़ में जयशंकर प्रसाद का यह कथन उनकी क्रान्तदर्शिता का साक्ष्य है कि ‘अन्धकार में दौड़ लग रही मतवाला यह सब समाज है।’ इसी श्रेणी में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण की राष्ट्रीय धरोहर के वाहक पं. गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ ने कभी नरपशु से बचने के लिए नर मात्र के लिए दो आधारभूत गुण निर्धारित करते हुए घोषणा की थीः -जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है/वह नर नही नरपशु निरा है और मृतक समान है। इस वर्ष देश भर में सन् 1857 के प्रथम स्वातन्त्रय-संग्राम की 150वीं जयन्ती बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है। यद्यपि भारत के विभिन्न भागों से उठने वाले विद्रोही स्वातन्त्रय-सेनानियों को तब शातिर फिंरगी शासको ने अपनी ‘फूट डालो राज करो’ जैसी कूटनीतियों और छल-छद्मों से दबा लिया था तथापि आज़ादी के लाखों परवानों के बलिदानों ने उन रक्तिम आधारशिलाओं का काम कर डाला था जिन पर आगे चल कर हमारी आज़ादी का विशाल गगनचुम्बी स्वर्णिम भवन खड़ा हुआ था। उन्हीं शहीदों की कुर्बानियों से उपजी काव्य में सुरक्षित राष्ट्रप्रेम की ऐसी गंगाजमुनी पावनी और मनभावनी भावधारायें हैं जोकि आज के दिग्भ्रमित भारतीयों को नहला और उन्हें निजी कर्त्तव्यों के महान् राजपथ पर चला सकती है। प्रस्तुत पुस्तक में आधुनिक हिन्दी काव्य और गीतों की भित्ति पर देशभक्ति के ऐसे स्वर्णाक्षर उत्कीर्ण किए गए हैं जिन्हें आने वाली पीढि़यों के लिए अलग से सुरक्षित रखा जा सकता है। आकाश और पृथ्वी के पुत्र इस मानव को राष्ट्रीय प्रेम का अमृत-रस पिलाने के प्रयोजन से रचित यह ग्रन्थ एक ऐसी देशप्रेम-पगी सरिता हमारे सामने बहाने का काम सरंजाम करता है जिसमें डुबकी लग कर कोई भी कर्त्तव्यनिष्ठ और सुख-शान्तिचाहक साहित्य-प्रेमी प्रतिपल गंगास्नान का लाभ प्राप्त कर सकता है। राष्ट्रप्रेम से सम्बद्ध कोई भी ऐसा प्रेरक घटक या आयाम नहीं है जोकि इस विदुषी लेखिका की लेखनी की सूक्ष्म दृष्टि से रेखांकित होने से रह गया हो। इसमें हिन्दी साहित्य के प्रत्येक काल-खण्ड को समेटा गया है। कुल मिला कर यह पुस्तक अपनी धरती माँ और देश से प्रेम करने वाले हरेक व्यक्ति के लिए निश्चित रूप से एक संग्रहणीय उपहार हो सकती है।
downArrow

Details