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About The Book
Description
Author
योतो विस्तृत क्षेत्रफल में बोली जानेवाली किसी भी भाषा मे क्षेत्रीयता भौगोलिक परिस्थितियों सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि के कारण उच्चारणगत परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं पर लेखन के स्तर पर व रानी की जैसी अराजकता आजकल हिंदी में दिखाई देती है वैसी अन्य भाषाओं में नहीं है। संसार की सर्वाधिक वैज्ञानिकतापूर्ण लिपि में लिखी जाने के बावजूद हिंदी का हाल यह है कि बहुत से ऐसे शब्द हैं जिनकी वर्तमान में कई- कई वर्तनी प्रचलित हैं। जबकि किसी भी दृष्टिकोण से विचार करने पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि साधारण या विशिष्ट किसी भी तरह के लेखन में शब्दों की वर्तनी के मानक स्वरूप की आवश्यकता होती ही है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक पत्रकार और प्रतिष्ठित समाजकर्मी संत समीर ने हिंदी-वर्तनी की विभिन्न समस्याओं पर तर्कपूर्ण ढंग से विचार करते हुए कई महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। लेखक ने हिंदी-वर्तनी का मानक स्वरूप निर्धारित करने में हिंदी के समाचार-पत्रों की अहम भूमिका रेखांकित की है । हमें उम्मीद है कि यह पुस्तक हिंदी भाषा की वर्तनी के मुद्दे पर हिंदीभाषी जनता को जागरूक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।.