आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखित 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' हिन्दी साहित्य के अध्ययन के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आधारभूत ग्रन्थ है। लगभग छह सौ पृष्ठों में विस्तृत यह पुस्तक हिन्दी साहित्य के नौ सौ वर्षों के इतिहास को प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत करती है।<br>।<br>शुक्ल जी ने इस ग्रन्थ में आदिकाल ( वीरगाथा काल ) से लेकर आधुनिक काल तक के साहित्यिक विकासक्रम को विभिन्न कालों और धाराओं में विभाजित किया है। उन्होंने प्रत्येक काल की प्रमुख साहित्यिक प्रवृत्तियों कवियों और उनकी रचनाओं का विस्तृत विश्लेषण किया है। उनकी भाषा-शैली गम्भीर और विश्लेषणात्मक है जो साहित्य के मर्म को गहराई से समझने में सहायक होती है।।<br>।<br>यह पुस्तक न केवल ऐतिहासिक तथ्यों का संकलन है बल्कि शुक्ल जी की सूक्ष्म साहित्यिक दृष्टि और आलोचनात्मक क्षमता का भी परिचय देती है। उन्होंने कवियों और उनकी रचनाओं का मूल्यांकन करते हुए उनकी साहित्यिक महत्ता स्थापित की है। 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' विद्यार्थियों शोधकर्ताओं और हिन्दी साहित्य में रुचि रखने वाले सभी व्यक्तियों के लिए एक अनिवार्य पाठ्यपुस्तक है। यह हिन्दी साहित्य के इतिहास को समझने और उसका सही परिप्रेक्ष्य प्राप्त करने में अद्वितीय भूमिका निभाती है
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