“किसी समाज के सजीव और अग्रगामी बने रहने के लिए इतिहास के सहारे की जरुरत पड़ती है। यह इस कारण कि इतिहास के ज्ञान से हमें समाज के विकास के विभिन्न चरणों का परिचय मिलता है। समाज के वर्तमान को जानने और फिर भविष्य की दिशा पहचानने के लिए यह आवश्यक है कि हम उन चरणों को निकट से जानें जिनसे गुजरते हुए समाज अपनी वर्तमान स्थिति तक पहुंचा है। ठीक इसी प्रकार साहित्य के इतिहास की जानकारी के आधार पर न केवल वर्तमान साहित्य-सर्जन की ठीक-ठीक परख और पहचान संभव है बल्कि साहित्य-सर्जन की दिशाओं के निर्धारण के लिए भी यह उतना ही अनिवार्य है।”
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