*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹260
₹375
30% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म सन् 1884 ई० में बस्ती जिले के अगोना नामक ग्राम के एक सम्भ्रान्त परिवार में हुआ था। इनके पिता चन्द्रवली शुक्ल मिर्जापुर में कानूनगो थे। इण्टरमीडिएट में आते ही इनकी पढ़ाई छूट गई। ये सरकारी नौकरी करने लगे किन्तु स्वाभिमान के कारण यह नौकरी छोड़कर मिर्ज़ापुर के मिशन स्कूल में चित्रकला अध्यापक हो गए। अध्यापन का कार्य करते हुए इन्होंने अनेक कहानी कविता निबन्ध नाटक आदि की रचना की। इनकी विद्वत्ता से प्रभावित होकर इन्हें हिन्दी शब्द-सागर के सम्पादन- कार्य में सहयोग के लिए श्यामसुन्दर दास जी द्वारा काशी नागरी प्रचारिणी सभा में ससम्मान बुलवाया गया। 19 वर्ष तक काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका का सम्पादन भी किया। कुछ समय पश्चात् इनकी नियुक्ति काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक के रूप में हो गयी और श्यामसुन्दर दास जी के अवकाश प्राप्त करने के बाद वे हिन्दी विभाग के अध्यक्ष भी हो गये। शुक्ल जी ने लेखन का शुभारम्भ कविता से किया था। नाटक लेखन की ओर भी इनकी रुचि रही पर इनकी प्रखर बुद्धि इनको निबन्ध लेखन एवं आलोचना की और ले गई। निबन्ध लेखन और आलोचना के क्षेत्र मे इनका सर्वोपरि स्थान आज तक बना हुआ है। जीवन के अन्तिम समय तक साहित्य साधना करने वाले शुक्ल जी का निधन सन् 1941 में हुआ।