HINDI UPANYASON ME SAAMAJIK CHETNA


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About The Book

कथा-साहित्य वस्तुतः जीवन की सबसे नजदीकी विधाा है । इसमें जीवन की सामयिक समस्याओं को उभार कर इस कदर प्रस्तुत किया जाता है कि हर घटना जीवन्त लगती है उसमें भी उपन्यास विधा । जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है -उपन्यास अर्थात् जो जीवन के अधिक निकट है साथ है करीब है । इसमें जीवन का यथावत् चित्रण करने की अद्भुत् क्षमता है । प्रस्तुत पुस्तक में 1990 से अद्यतन उपन्यासों को केन्द्र में रखा गया है । इनमें इस युग की विभिन्नता सामाजिक समस्याओं को बड़ी बारीकी और सूझ-बूझ से उभारा गया है । उनकी शोध परक विवेचना इस पुस्तक में की गई है । आज के व्यक्ति का दृष्टिकोण भौतिकतावादी हो गया है जिस कारण वह सत्य का मार्ग छोड़कर असत्य का मार्ग अपना रहा है । जिसके फ़लस्वरुप हमारे सामाजिक आर्थिक धाार्मिक राजनीतिक व सांस्कृतिक मूल्यों का विघटन हो रहा है । व्यक्ति से लेकर परिवार तक परिवार से खानदान खानदान से मुहल्ले गॉव शहर व्यक्तिगत और सामाजिक मूल्यों का उत्तरोतर विघटन हो रहा है । जिसका मुक्तहस्त मुक्तकंठ वर्णन हमारे उपन्यासों में मिलता है इन्हे ही आधाार बनाकर प्रस्तुत पुस्तक लिखी गई है ।
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