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About The Book
Description
Author
ऐसे समय में जब विज्ञान किसी भी रहस्य को सुलझा सकता है धर्म का विचार अनावश्यक और व्यर्थ प्रतीत होता है। धीरे-धीरे यह धारणा बलवती होती जा रही है। यह भी महसूस होता है कि आज की तथाकथित प्रगतिशील दुनिया में धर्म के समर्थन को पुराना और अर्थहीन समझा जाता है। परंतु देखा जाए तो सामंजस्य स्थापित करते हुए प्रगति करना हिंदू दर्शन का आधारभूत उद्देश्य रहा है। इसलिए यह जरूरी है कि हिंदू धर्म के अनुयायी बदलते समय के साथ खुद को बदलें और विकसित करें। इस किताब के ज़रिए हमने समाज के निर्माण और विकास में हिंदू धर्म की भूमिका की पुष्टि की है। हमने भारतीय समाज के उद्गम विकास और निर्वाह को हिंदू धर्म के दृष्टिकोण से देखने का प्रयास किया है और लघु हिंदू पौराणिक कथाओं के माध्यम से इस प्रक्रिया को समझाने की कोशिश की है। हमें विश्वास है कि इस तरह की लोक-कथाओं को जानना भी एक विशेष कालखंड से जुड़े इतिहास को समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है। अलग-अलग समय एवं युग की व्याप्त अलग-अलग कथाएँ हमारे समाज की नैतिकता और उसके चरित्र को बिल्कुल अलग तरीके से प्रस्तुत करती हैं। परंतु हिंदू धर्म के मुख्य सिद्धांत स्थायी रहते हैं। इसी बात से बदलाव के समय में इस महान धर्म के लचीलेपन का पता लगता है। इस पुस्तक के पाठक अंततः यही पाएँगे कि हिंदू धर्म के सिद्धांत और मूल्य कभी नहीं बदलते। इसकी प्रासंगिकता आज भी कायम है और अनंत काल तक इसी तरह कायम रहेगी।