Hindu Manyataon Ka Vaigyanik Aadhar (हिंदी मान्यताओ का वैज्ञानिक आधार)

About The Book

वैदिक विद्वानो के पास जो परंपरागत हस्तलिखित पुस्तकें हैं वे उन्हे दूसरों को देते नहीं। ज्ञान का लोप हो रहा है। श्रीमाली ब्राहणों के कुलगुरू प्रातः स्मरणीय पुण्यष्लोग वेदपाठी पूजय पिताश्री स्व. जयनारायण जी द्विवेदी की अन्तिम इच्छा थी कि अपनी कुलपरंपरागत पुस्तकों का ज्ञान आम जनता को वितरित करों ताकि ब्राहण उठकर खडे़ हो सकें। सही व सच्चे ज्ञान को प्राप्त कर धर्मानुरागी समाज भी आष्वस्त रहे तथा ज्ञान व तेजस्विता का प्रकाष सर्वत्र फैल सके। यज्ञोपवीत एवं विवाह हिन्दू धर्म के अति आवष्यक एवं महत्वपूर्ण संस्कार हैं। पौरोहित्य व कर्मकाण्ड की तकनीकी पुस्ताकों की श्रृखला में यज्ञकुण्डमण्डपसिद्धि कासर्पयोग षांति अन्त्येश्टि व रुद्री के पष्चात् ‘डायमंड प्रकाषन’ की यह सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक है जो धार्मिक संस्कार व पुरातन सांस्कृतिक परंपराओं की सुरक्षा हेतु अवलंबित ज्ञान की एक महतवपूर्ण कड़ी है। हिन्दू सोहल संस्कारों की सम्पूर्ण जानकारी के साथ व्यावहारिक रूप से विवाह कराने की प्रथा पर यह पुस्तक भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है जिसे हस्तगत कर कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति का यज्ञोपवीत एवं विवाह-संस्कार वैदिक रीति-रिवाज के अनुसार करा सकता है।
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